रुमाली रोटी खुब खाई जाती है. खासकर तंदूरी या कई तरह के कबाब के साथ उसे परोसा जाता है. रुमाली रोटी बहुत पतली होती है, जैसे कोई कपड़ा हो, इसकी बनावट इतनी मुलायम और नर्म होती है कि इसे आसानी से मोड़ा और मोड़ा जा सकता है इसलिए इसे रुमाली रोटी कहा जाता है. भारतीय खाने में भी रुमाली रोटी की एक खास जगह है. इसे खासतौर पर तंदूर या खुले अंगीठी में पकाया जाता है.
रुमाली रोटी को आम तौर पर करी, शोरबा, या तंदूरी व्यंजनों के साथ खाना ज्यादा पसंद किया जाता है. खासकर के नॉन-वेजिटेरियन डिशेस जैसे कबाब, बटर चिकन, और मटन करी के साथ इसे खाना बहुत पसंद की जाती है. लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर रुमाली रोटी का इतिहास क्या है? भारत में ये कहां से आइए जानते हैं इसके बारे में
रुमाली रोटी का क्या है इतिहास?
रुमाली रोटी की शुरुआत मुगल काल के दौरान हुई थी. यह मुगल काल में शाही भोजन में शामिल हुआ करती थी. जब मुगल भारत आए, तो मुगल शासकों के साथ उनकी रसोई में विशेष स्थान रखने वाली ये रुमाली रोटी भी साथ आईं. इन जगहों पर रुमाली रोटी को “लंबू रोटी” या फिर “मांडा” से भी जाना जाता है. इसे लेकर एक कहानी है कि मुगल दरबारों की रुमाली रोटी का उपयोग शुरू में खाने के एक्सट्रा ऑयल और हाथ को पोंछने के लिए नैपकिन के रूप में उपयोग किया करते थे. बाद में इसे खाने योग्य रोटी के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा. इसे बनाना एक तरह की कला मानी जाती थी, क्योंकि इसे बहुत पतला बेलना और फिर बड़े उल्टे तवे पर पकाना होता था.
मुगल साम्राज्य के बाद भी रुमाली रोटी की लोकप्रियता बनी रही. इसके बाद यह धीरे-धीरे यह रोटी उत्तर भारत खासतौर पर दिल्ली, लखनऊ, हैदराबाद और बाद में पाकिस्तान व अन्य दक्षिण एशियाई देशों में भी लोकप्रिय हो गई. आजकल रुमाली रोटी को भारत के विभिन्न हिस्सों में खासतौर पर मुगलई और शाही व्यंजनों के साथ खाई जाती है. इसे खासकर कबाब, कश्मीरी या अवधी करी, और बिरयानी के साथ में सर्व किया जाता है. खासकर के शादी या किसी खास अवसर पर इसे खाना पसंद किया जाता है. 1990 के दशक के दौरान रुमाली रोटी ढाबों, शादी पार्टियों और रेस्तरां में परोसी जाने लगी.
रूमाली रोटी को आटा, मैदा, नमक, एक चम्मच तेल और जरूरत के मुताबिक इसमें जरूरत के मुताबिक पानी मिलाकर आटा गूंथ लें. इसके बाद इसे आटे को गीले कपड़े मे कुछ समय के लिए ढक कर रखा जाता है. इसके बाद इस आटे की छोटी-छोटी लोई बनाए जाते हैं. गैस पर कढ़ाई या तवे को उल्टा रख कर उसे ऊपर कुछ बूंदे तेल को डालकर आटे की पतली और बड़ी शीट में बेलकर कढ़ाई प दोनों तरफ से सैका जाता है. इसे बनाने में बहुत मेहनत लगती है.